मंगलवार, 13 अप्रैल 2010

आतंकवाद-आजमगढ और आदित्यनाथ

आतंकवाद एक समस्या है आजमगढ वह स्थान है जो इस समस्या से ग्रस्त है और आदित्यनाथ वह व्यक्ति हैं जो इस समस्या के खिलाफ जबर्दस्त मुहिम चलाए हुए है। आजमगढ आतंकवाद की उर्वरभूमि होने के साथ आतंकवादियों के पसंदीदा शरणस्थल के रुप में भी पहचाना जाता है। उत्तर प्रदेश के मुस्लिम बाहुल्य इस जिले में यदि खाड़ी देशों की मुद्रा दिरहम और दीनार की बेशुमार आवक है तो वही इन दिरहमों-दीनार के मालिकों द्वारा जेहाद के नाम पर आतंकियों को दिल खोल मदद में देसी ही नही बल्कि विदेशी आतंकियों तक को अपनी तरफ आकर्षित किया है। आतंकवादियों ने अपने इस मनपंसद आरामगाह और ऐशगाह को अपनी शरणस्थली बनाने के साथ ही इसे पाक अधिकृत कश्मीर और पाकिस्तान के कबायली इलाकों में चलाए जा रहे आतंकी प्रशिक्षण केन्द्रों की अनुकृति बनाने का अभियान भी बाकायदा चलाया हुआ है।भारत में वोट बैंक की लालच में तुष्टिकरण करने वाली सरकारों के सहयोग से ये आतंकवादी अपने खतरनाक मंसूबों में काफी हद तक सफल भी हो रहे हैं। लेकिन पूर्वाकाल में इन तत्वों के राष्ट्रद्रोही मंसूबो के पूरा होने के रास्ते में योगी आदित्यनाथ जैसे सन्यासी चट्टान की तरह खड़े मिलते है। राष्ट्रीय एकीकरण के पवित्र कार्य का बीड़ा उठाने वाले ऐसे सन्यासी शुरु से ही आतंकवादियों और चरमपंथियों के निशाने पर रहे है। योगी आदित्यनाथ विश्व प्रसिध्द कनफटे साधुओं के सबसे बड़े आस्था केन्द्र गोरक्षपीठ के घोषित उत्तराधिकारी हैं। राजनैतिक जगत में योगी की पहचान गोरखपुर से भाजपा सांसद के रूप में जरुर है लेकिन आम जनता के बीच उनकी पहचान हिन्दू हृदय सम्राट और एक ऐसे योध्दा के रूप में है जो देश में स्वामी विवेकानन्द के अधूरे कार्यों को पूरा करने के लिए अवतरित हुआ है। कम उम्र में आश्चर्यचकित करने वाली आध्यात्मिक और शैक्षिक उपलब्धियां अर्जित करने वाले योगी आदित्य नाथ ने अपने गुरु और गोरक्षपीठ के वर्तमान पीठाधीश्वर महन्त अवैद्यनाथ के कहने पर भारतीय राजनीति की बदनाम गलियों में प्रवेश किया और आश्चर्यजनक रुप से अपनी लोकप्रियता के ग्राफ को बढ़ाया।उस गोरखपुर में जहां भाजपा जैसी राष्ट्रवादी पार्टी को अपनी जमीन तक नही मिल पा रही थी, योगी ने अपने पराक्रम से कमल खिला दिया और गोरखपुर सहित गोंडा, पड़रौना, बस्ती, देवरिया, महाराजगंज और फैजाबाद जैसे जिलों की कई लोकसभा और विधानसभा सीटें भाजपा की झोली में डाल दीं। योगी को अपने अच्छे कार्यो का पुरस्कार भाजपा से तो नहीं मिला लेकिन इस कवायद में योगी राजनैतिक और धार्मिक कट्टरपंथियों के निशाने पर जरूर आ गए। योगी ने पूर्वांचल में जब एक वर्ग विशेष की दहशत तले जी रहे समाज में चेतना भरनी शुरु की तो विघटन की राजनीति करने वाले राजनितिज्ञों और कट्टरपंथियों ने उनके रास्ते को राकेने में अपनी पूरी ताकत लगा दी। लेकिन भारत की पवित्र भूमि का यह स्वभाव रहा है कि यहां सत्य परेशान तो हो सकता है लेकिन पराजित नहीं और इसीलिए सत्यसाधक योगी आदित्यनाथ भी परेशान होने के बावजूद पराजित नहीं हुए और अपने कार्य में मनोयोग से लगे रहे, जिसका परिणाम है कि आज पूर्वांचल के 13 जिलों में योगी के नाम पर अपनी जान दे देने वालों की लम्बी फौज तैयार हो गयी है।अन्याय और अत्याचार के प्रतिकार का प्रतिरुप बन कर उभरे योगी आदित्यनाथ आज पूर्वी उत्तर प्रदेश में आतंकवाद और कट्टरवाद के फायरब्रांड शत्रु के रुप में पहचाने जाते हैं। योगी की बढती लोकप्रियता से एक तरफ जहां राजनीतिक जगत के उनके विरोधियों में अफरातफरी मची हुई है तो वही आतंकवादी तत्व भी उन्हें अपने रास्ते से हटाने के लिए अपनी साजिश को अंजाम देने की नयी नयी तरकीबें आजमा रहे हैं।अन्याय और अत्याचार के प्रतिकार का प्रतिरुप बन कर उभरे योगी आदित्यनाथ आज पूर्वी उत्तर प्रदेश में आतंकवाद और कट्टरवाद के फायरब्रांड शत्रु के रुप में पहचाने जाते हैं। योगी की बढती लोकप्रियता से एक तरफ जहां राजनीतिक जगत के उनके विरोधियों में अफरातफरी मची हुई है तो वही आतंकवादी तत्व भी उन्हें अपने रास्ते से हटाने के लिए अपनी साजिश को अंजाम देने की नयी नयी तरकीबें आजमा रहे हैं। विगत वर्षों में आजमगढ़, मऊ, गाजीपुर, गोरखपुर जैसे संवेदनशील जनपदों में विघटनकारी शक्तियों ने जब-जब भी अपनी कारगुजारियों को अंजाम देने की कोशिश की तो योगी ने इसे असफल कर दिया। इसका उदाहरण मऊ जिले में सन् 2005 के दशहरे के दौरान जब आतंकियों से संबंध का आरोप झेल रहे मुख्तार अंसारी ने दंगा भड़काया और उसका नेतृत्व किया तो दहशत से घर-बार छोड़ कर भाग चुके हजारों हिन्दुओं को योगी ने हिम्मत बंधाई, तब प्रशासन भी जागरुक हुआ और वहां दंगे थमे।योगी की कड़ाई के चलते उत्तर प्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव को अपनी ही पार्टी के सांसद के भाई विधायक मुख्तार अंसारी को सलाखों के पीछे पहुंचाना पड़ा। योगी आदित्यनाथ की इस जिजीविषा के चलते ही आज उनकी लोकप्रियता अपने चरम पर है और उनकी इस लोकप्रियता से घबराने वाले उनके विरोधी उन्हें किसी भी कीमत पर अपने रास्ते से हटाना चाहते हैं।योगी अपनी इस लोकप्रियता से अन्जान अपनी सुरक्षा को भी दरकिनार कर अपने दैवकार्य में निरन्तर लगे हुए हैं। आजमगढ़ पूर्वी उत्तर प्रदेश का वह जिला हैं जहां पर आतंकी तत्वों की उपस्थिति के बारे में राज्य और केन्द्र का गृहमंत्रालय बराबर लोगों को सतर्क करता रहता है।पिछले दिनों गुजरात और राजस्थान के बम विस्फोटकांड के मास्टरमाइण्ड अबू बसर की यहां से गिरफ्तारी के बाद यह जिला एक बार फिर देश की सुरक्षा एजेंसियों के निशाने पर आया। इतने खतरनाक कांड के मास्टरमाइण्ड की गिरफ्तारी पर भी घृणित राजनीति करने वाली पार्टियां राजनीति करने लगीं और तो और गिरफ्तार आतंकी के घर जा कर उसके प्रति अपनी सहानुभूति दर्शायी और उन्हें एक और गोधरा-गुजरात कांड करने की छूट देने की कोशिश की। बाकी कमी इमाम बुखारी ने पूरी कर दी जिसने सपा नेताओं के साथ आजमगढ़ में सभा की और सरकार व संविधान विरोधी नारे लगावकर भारतीय लोकतंत्र का उपहास उड़ाने के साथ ही देशद्रोहियों को यह संदेश भी दिया कि वे अपना कार्य करते रहें।पिछले दिनों गुजरात और राजस्थान के बम विस्फोटकांड के मास्टरमाइण्ड अबू बसर की यहां से गिरफ्तारी के बाद यह जिला एक बार फिर देश की सुरक्षा एजेंसियों के निशाने पर आया। इतने खतरनाक कांड के मास्टरमाइण्ड की गिरफ्तारी पर भी घृणित राजनीति करने वाली पार्टियां राजनीति करने लगीं और तो और गिरफ्तार आतंकी के घर जा कर उसके प्रति अपनी सहानुभूति दर्शायी और उन्हें एक और गोधरा-गुजरात कांड करने की छूट देने की कोशिश की। बाकी कमी इमाम बुखारी ने पूरी कर दी जिसने सपा नेताओं के साथ आजमगढ़ में सभा की और सरकार व संविधान विरोधी नारे लगावकर भारतीय लोकतंत्र का उपहास उड़ाने के साथ ही देशद्रोहियों को यह संदेश भी दिया कि वे अपना कार्य करते रहें। अबू बशर की गिरफ्तारी और इमाम बुखारी की हरकत से आक्रोशित योगी आदित्यनाथ 7 सितंबर को आजमगढ़ के डी.ए.वी. कॉलेज में एक जनसभा को संबोधित करने जा रहे थे। इस बात की जानकारी उन्होंने स्थानीय प्रशासन को 15 दिन पहले ही दे दी थी। लेकिन पता नहीं बसपा के शासन में कार्य करने वाले प्रशासन ने इनको भाजपा का सांसद होने की वजह से या इनके हिन्दू हृदय सम्राट होने की बात से नाराज हो कर इनकी सुरक्षा के प्रति लापरवाही बरती जिसका खामियाजा ये हुआ कि योगी का काफिला जैसे ही मुस्लिम बाहुल्य क्षेत्र तकिया में पहुंचा, पहले से ही तैयार खतरनाक मंसूबों कट्टरपंथी तत्वों ने इस संत पर हमला कर दिया। दैव योग से यह हमला तब हुआ जब योगी का वाहन आगे निकल गया था।लेकिन उनके काफिले में शामिल पांच वाहनों को आक्रमणकारियों ने बुरी तरह तहस नहस कर दिया और इनके कई भक्त भी घायल हो गए। इतनी बड़ी घटना के बाद भी योगी अपने निर्धारित कार्यक्रम से पीछे नही हटे और उस कॉलेज में जुटी भारी भीड़ को संबोधित किया और आतंकियों को उनके खूंखार मंसूबों को कामयाब न होने देने की अपनी प्रतिज्ञा भी दृढ़ता से दुहरायी। बुलन्द हौसलों के धनी योगी आदित्यनाथ की सुरक्षा में खामी का अंदाजा हम इस बात से लगा सकते है कि केन्द्र की राजग सरकार ने जहां परमाणु करार पर अपनी सरकार को बचाने की एवज में अमर सिंह जैसे राज्यसभा सदस्य तक को जेड श्रेणी की सुरक्षा दे रखी है तो वहीं अपने आप को कानून और व्यवस्था की सबसे बड़ी हिमायती बताने वाली मायावती ने प्रदेश के सारे बड़े माफिया सरगनाओं को तो जेड और वाई श्रेणी की सुरक्षा दे रखी है लेकिन आतंकवादियों की आंख की किरकिरी बने योगी आदित्य नाथ को देश का दूसरा लक्ष्मणानन्द बनने के लिए भगवान भरोसे छोड़ दिया।लेकिन सरकार को याद रखना चाहिए कि यदि योगी आदित्यनाथ को कुछ होता है तो वह आतंकवादियों के लिए सुनहरा अवसर तो होगा ही पूर्वी उत्तर प्रदेश के लिए अकल्पनीय भी होगा क्योंकि योगी का बाल-बांका होते ही पूरा क्षेत्र हिंसा की आग में जलकर राख हो जाएगा। इसलिए सरकार को योगी आदित्यनाथ को तत्काल और पूरी सुरक्षा उपलब्ध करवा और उन पर आक्रमण कराने वाले अपराधियों पर कार्यवाई कर अपनी मुस्तैदी का प्रमाण

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें